संजीवक
दुनिया में प्रेम बहुत शक्तिशाली संजीवनी है; प्रेम से अधिक कुछ भी गहरा नहीं जाता। यह सिर्फ शरीर का ही उपचार नहीं करता, सिर्फ मन का ही नहीं, बल्कि आत्मा का भी उपचार करता है। यदि कोई प्रेम कर सके तो उसके सभी घाव विदा हो जाएंगे। तब तुम पूर्ण हो जाते हो–और पूर्ण होना पवित्र होना है।
जब तक कि तुम पूर्ण नहीं हो, तुम पवित्र नहीं हो। शारीरिक स्वास्थ्य सतही घटना है। यह दवाई के द्वारा भी सकता है, यह विज्ञान के द्वारा भी हो सकता है। लेकिन किसी का आत्यंतिक मर्म प्रेम से ही स्वस्थ हो सकता है। वे जो प्रेम का रहस्य जानते हैं वे जीवन का महानतम रहस्य जानते हैं। उनके लिए कोई दुख नहीं बचता, कोई बुढ़ापा नहीं, कोई मृत्यु नहीं। निश्चित ही शरीर बूढ़ा होगा और शरीर मरेगा, लेकिन प्रेम यह सत्य तुम पर प्रगट करता है कि तुम शरीर नहीं हो। तुम शुद्ध चेतना हो, तुम्हारा कोई जन्म नहीं है, कोई मृत्यु नहीं है। और उस शुद्ध चेतना में जीना जीवन की संगति में जीना है। जीवन की संगति में जीने का उप-उत्पाद आनंद है।
Related
Related posts
Top Posts & Pages
- अचेतन में प्रवेश की विधि
- OSHO ने SEX के बारे में ऐसी बातें बताई हैं, कोई भी गुरु ने कभी कहा नहीं था.
- पत्नी अपने पति को वेश्या के घर पहुंचा दे तो हम कहते है: ‘’यह है चरित्र, देखो क्या चरित्र है। OSHO
- श्वास ध्यान मे संबंध - ओशो
- संभोग: परमात्मा की सृजन-ऊर्जा— OSHO(भाग–2)
- वैराग्य नहीं , राग को गहरा करने की कला सीखना: ओशो
- भारतीय हस्तियाँ और ओशो Indian Celebrities & OSHO
- बुद्धत्व और कुछ नहीं बस इतना ही है कि हर चीज वैसी ही है जैसी होनी चाहिए। OSHO
- "Garrick Clothing and Garland Use in Sociology!" - Osho
- अवधान को बढ़ाना