“सुसाइड की जरुरत नहीं, संन्यास लो !” – ओशो
एक शिष्य ने ओशो से कहा की वह जिंदगी से तंग आ कर आत्महत्या करना चाहता है, इस पर ओशो बोले :- तुम सूइसाइड क्यों करना चाहते हो? शायद तुम जैसा चाहते थे, लाइफ वैसी नहीं चल रही है? लेकिन तुम ज़िन्दगी पर अपना तरीका,…
“चाहो तो हर चीज सहयोगी है” – ओशो
प्रश्न- गैरिक वस्त्र और माला, ध्यान और साक्षी-साधना में कहां तक सहयोगी हैं? चाहो तो हर चीज सहयोगी है। चाहो तो छोटी-छोटी चीजों से रास्ता बना ले सकते हो। कहते हैं, राम ने जब पुल बनाया लंका को जोड़ने को, जब सागर-सेतु बनाया तो छोटी-छोटी…
“वासना:: कुत्ता और हड्डी” ऊर्जा-शरीर – ओशो
तुम्हारी हालत कुत्ते जैसी हो गयी है। कुत्ते को देखा है? सूखी हड्डियां चूसता है, जिनमें कुछ रस नहीं है। कुत्ते सूखी हड्डियों के पीछे दीवाने होते हैं। एक कुत्ते को सूखी हड्डी मिल जाए तो सारे मुहल्ले के कुत्ते उससे लड़ने को तैयार हो…
“कामवासना और प्रेम” – ओशो
कामवासना अंश है प्रेम का, अधिक बड़ी संपूर्णता का। प्रेम उसे सौंदर्य देता है। अन्यथा तो यह सबसे अधिक असुंदर क्रियाओं में से एक है। इसलिए लोग अंधकार में कामवासना की और बढ़ते है। वे स्वयं भी इस क्रिया का प्रकाश में संपन्न किया जाना…
“खजुराहो के अदभुत मंदिर” – ओशो
तंत्र ने सेक्स को स्प्रिचुअल बनाने का दुनिया में सबसे पहला प्रयास किया था। खजुराहो में खड़े मंदिर, पुरी और कोणार्क के मंदिर सबूत है। कभी आप खजुराहो की मूर्तियों देखेंगे । तो आपको दो बातें अदभुत अनुभव होंगी। पहली तो बात यह है कि…
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