पत्नी अपने पति को वेश्या के घर पहुंचा दे तो हम कहते है: ‘’यह है चरित्र, देखो क्या चरित्र है। OSHO
स्त्री पहली बार चरित्रवान हो रही है—ओशो ओशो—तुम्हारे चरित्र का एक ही अर्थ होता है, बस कि स्त्री पुरूष से बंधी रहे, चाहे पुरूष कैसा ही गलत हो। हमारे शास्त्रों में इसकी बड़ी प्रशंसा की गई है। कि अगर कोई पत्नी अपने पति को—बूढ़े, मरते,…
ओशो का कहना है कि व्यक्ति एक रात या दिन में कम से कम चार बार संभोग कर सकता है। OSHO
ओशो कहते थे- लड़के-लड़कियों को अलग हॉस्टल में रखोगे तो समलैंगिक बनेंगे ओशो कहते हैं कि 18 साल की उम्र में कामवासना चरम पर होती है और ऐसे वक्त में सामाजिक व्यवस्था में लड़के और लड़कियों को एक दूसरे से दूर रखने की कोशिश की…
यह प्रश्न भारतीय स्त्री का है – मेरे बदन में बहुत काम-ऊर्जा है। कैसे मैं अपनी ऊर्जा को सृजनात्मकता दूँ। OSHO
सेक्स और भोजन का गहरा–ओशो प्रश्न—मेरे बदन में बहुत काम-ऊर्जा है। जब मैं नाचती हूं, कभी-कभी में महसूस करती हूं कि मैं पूरी दुनिया को खत्म कर दूंगी और किसी स्थिति में इतना क्रोध और हिंसा मेरे भीतर उबलती है कि मैं अपनी ऊर्जा को…
धन और सेक्स : धन में शक्ति है, इसलिए धन का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है। OSHO
‘हमने सेक्स को सिवाय गाली के आज तक दूसरा कोई सम्मान नहीं दिया। हम तो बात करने में भयभीत होते हैं। हमने तो सेक्स को इस भांति छिपा कर रख दिया है जैसे वह है ही नहीं, जैसे उसका जीवन में कोई स्थान नहीं है।…
गरीब जब भी मेरे पास पहुंच जाता है तभी मैं अपने को असहाय पाता हूं OSHO
ओशो – गरीब आदमी ओशो प्रेम नमन जी मुझसे लोग कहते हैं कि आप गरीबों के लिए क्यों नहीं कुछ करते? यहां आपके आश्रम में गरीब के लिए प्रवेश नहीं मिल पाता। ओशो― उसके पीछे कारण हैं। गरीब जब भी मेरे पास पहुंच जाता है…
उदासी, चिंता, क्रोध, क्लेश और हताशा, दुख के साथ एकमात्र समस्या यह है कि तुम इन सबसे छुटकारा पाना चाहते हो
भावनाओं से मित्रता कहीं न कहीं यह भय है जो मुझे बंद कर देता है, और कठोर और हताश, क्रोधित और आशाहीन बना देता है। यह इतना सूक्ष्म है कि मैं वस्तुत: उसे छू नहीं सकता। मैं अधिक स्पष्टता से कैसे देख सकता हूं? कहीं…
आदमी को, स्वाभाविक रूप से, एक शाकाहारी होना चाहिए, क्योंकि पूरा शरीर शाकाहारी भोजन के लिए बना है।
शाकाहारी होना आदमी को, स्वाभाविक रूप से, एक शाकाहारी होना चाहिए, क्योंकि पूरा शरीर शाकाहारी भोजन के लिए बना है। वैज्ञानिक इस तथ्य को मानते हैं कि मानव शरीर का संपूर्ण ढांचा दिखाता है कि आदमी गैर-शाकाहारी नहीं होना चाहिए। आदमी बंदरों से आया है।…
ओशो साहित्य | चल ओशो के गाँव में |‘जहाँ ध्यान प्रेम की छांव है, वही ओशो का गांव है। OSHO
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश ‘‘जहाँ ध्यान प्रेम की छांव है, वही ओशो का गांव है।’’ ओशो परम दुर्लभ घटना है अस्तित्व की। ओशो की आवाज जब बहती हुई पवन की तरह किसी के अंतर में सरसराती है, एक बादल की तरह बूँद-बूँद बरसती…
ओशो इंटरनेशनल की सदस्यता लें | ||||||||
|
||||||||