सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि हर आदमी किसी और जैसा होना चाह रहा है OSHO
किसी और जैसे बनने की कोशिश किस लिए? मनुष्य के साथ यह दुर्भाग्य हुआ है। यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य है, अभिशाप है जो मनुष्य के साथ हुआ है कि हर आदमी किसी और जैसा होना चाह रहा है और कौन सिखा रहा है यह? यह…
मुझे स्कालरशिप चाहिए थी। बजाय लंबे रास्तों के, मैं सीधे वाइस चांसलर के दफ्तर में पहुंच गया। OSHO
मैं विश्वविद्यालय में शिक्षा के लिए भर्ती हुआ। मुझे स्कालरशिप चाहिए थी। बजाय लंबे रास्तों के, मैं सीधे वाइस चांसलर के दफ्तर में पहुंच गया। वाइस चांसलर ने कहा, यह ठीक नहीं है, जहां दरख्वास्त देनी है वहां दरख्वास्त दो, और समय पर तुम्हें उत्तर…
कोई स्त्री किसी पुरुष से जाकर सीधा नहीं कहती कि मैं तुम्हें प्रेम करती हूं। प्रतीक्षा करती है कि पुरुष उससे कहें। OSHO
स्त्री और पुरुष के बीच कोई स्थिर संबंध निर्मित नहीं हो पाता। हो भी नहीं सकता। सब संबंध अस्थिर होंगे। क्षण भर पहले जहां प्रेम है, क्षण भर बाद वहीं घृणा हो जाए। यह स्वाभाविक है। इसको बदलने का भी कोई उपाय नहीं है। ऐसा…
लोग मुहब्बत के लिए वेष्याओं के पास जा रहे है। सोचते हैं । रुपया देने से प्रेम कैसे मिल सकता है ? OSHO
कैसी-कैसी विडंबनाऐं(imitation) पेैदा हो जाती है। लोग मुहब्बत के लिए वेष्याओं के पास जा रहे है। सोचते हैं, शायद पैसा देने से मिल जाएगा। रुपया देने से प्रेम कैसे मिल सकता है ? प्यार को तो खरीदा नहीं जा सकता। लोग सोचते हैं, जब हम…
पुरुष बिलकुल अधूरा है, स्त्री के बिना तो बहुत अधूरा है। OSHO
बुनियादी भूल जो सारी शिक्षा और सारी सभ्यता को खाए जा रही है, वह यह है कि अब तक के जीवन का सारा निर्माण पुरुष के आसपास हुआ है, स्त्री के आसपास नहीं। अब तक की सारी सभ्यता, सारी संस्कृति, सारी शिक्षा पुरुष ने निर्मित…
स्त्रियों ने उद्घोषणा की है समानता की, तो पुरुषों की छाती पर साँप लौट रहे हैं OSHO
पहली दफा दुनिया में एक स्वतंत्रता की हवा पैदा हुई है, लोकतंत्र की हवा पैदा हुई है और स्त्रियों ने उद्घोषणा की है समानता की, तो पुरुषों की छाती पर साँप लौट रहे हैं। मगर मजा भी यह है कि पुरुषों की छाती पर साँप…
जब कामवासना पकड़े , तब डरो मत। शांत होकर बैठ जाओ। जोर से श्वास को बाहर फेंको – OSHO
भीतर मत लो श्वास को। क्योंकि जैसे भी तुम भीतर गहरी श्वास को लोगे, भीतर जाती श्वास काम-ऊर्जा को नीचे की तरफ धकाती है। जब तुम्हें काम-वासना पकड़े, तब एक्सहेल करो। बाहर फेंको श्वास को। नाभि को भीतर खींचो, पेट को भीतर लोग और श्वास…
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