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नेटफ्लिक्‍स (Netflix) भगवान रजनीश (ओशो) पर ‘वाइल्ड वाइल्ड कंट्री’ शीर्षक से एक डॉक्‍यूमेंट्री सीरीज

कौन हैं ओशो की करीबी मां आनंद शीला? जिनकी एक बार फिर हो रही चर्चा

नेटफ्लिक्‍स सीरीज में रजनीश के आश्रम का भारत से अमरीका शिफ्ट होने की कहानी को दिखाया गया है.

नेटफ्लिक्‍स (Netflix) ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म सीरीज ने हाल ही में भगवान रजनीश (ओशो) पर ‘वाइल्ड वाइल्ड कंट्री’ शीर्षक से एक डॉक्‍यूमेंट्री सीरीज बनाई है. इस पूरी सीरीज में ओशो के बाद यदि किसी कैरेक्‍टर को सबसे ज्‍यादा तवज्‍जो दी गई है, तो वह हैं मां आनंद शीला. कभी ओशो की सबसे राजदार रहीं शीला यदि अपने भगवान के प्रेम में डूबी रहीं तो उनके द्वारा ठुकराए जाने के बाद 39 महीने जेल में बिताने के लिए भी मजबूर हुईं. अमेरिका में ओशो के आश्रम के दौरान शीला पर कई किस्‍म के आरोप रहे और वह बेहद विवादित शख्सियत रहीं.

नेटफ्लिक्‍स सीरीज में रजनीश के आश्रम का भारत से अमरीका शिफ्ट होने की कहानी को दिखाया गया है. इस पूरे किस्‍से में ओशो के बाद सबसे अहम किरदार शीला ही थीं. संभवतया इसलिए ही इस सीरीज शो के निर्माता वे ब्रदर्स ने डॉक्‍यूमेंट्री के निर्माण से पहले मां शीला का पांच दिन इंटरव्‍यू लिया था. अब इस सीरीज के रिलीज होने के बाद वह एक बार फिर सुर्खियों में, लिहाजा बीबीसी ने भी उनका इंटरव्‍यू किया है. लिहाजा शीला के बारे में दिलचस्‍पी का उत्‍पन्‍न होना लाजिमी है. आइए उनके बारे में जानते हैं कुछ अहम बातें:

1. शीला भगवान रजनीश की 1981 में निजी सचिव बनीं. कहा जाता है कि शीला ने ही ओशो को भारत से अपना आश्रम अमेरिका शिफ्ट करने के लिए सहमत किया. इसके बाद वहां के ओरेगन प्रांत में 1981 में ओशो के शिष्‍यों ने रजनीशपुरम के नाम से 64,000 एकड़ ज़मीन पर हजारों समर्थकों ने मिलकर एक आश्रम बसाया. शीला का कहना है कि वह लगभग अपने अकेले उस आश्रम का संचालन करती थीं और ओशो को इस काम से पूरी तरह मुक्‍त रखा. आश्रम में शिष्‍यों की बढ़ती संख्‍या देखकर अमेरिकी सरकार भी चिंतित हो गई थी.

2. मां आनंद शीला का असली नाम शीला अंबालाल पटेल है. मूल रूप से गुजरात के बड़ौदा से ताल्‍लुक रखती हैं. 18 साल की उम्र में अमेरिका पढ़ने के लिए गईं. वहीं पर शादी भी की और 1972 में आध्‍यात्मिक अध्‍ययन के लिए अपने पति के साथ भारत वापस लौटीं. यहां वे रजनीश के शिष्‍य हो गए. बाद में उनके पति की मृत्‍यु हो गई. ‘वाइल्‍ड वाइल्‍ड कंट्री’ डॉक्‍यूमेंटी में शीला ने ओशो के साथ अपनी पहली मुलाकात के बारे में बताया है कि जब वह पहली बार भगवान रजनीश से मिलीं तो उन्‍होंने सिर पर हाथ रखा. इससे उनको लगा कि उनके जीवन का मकसद पूरा हो गया है.

3. कहा जाता है कि शीला अपने आश्रम का प्रभाव बढ़ाना चाहती थीं. इसलिए 1984 के वास्‍को काउंटी चुनावों में वहां की दो सीटों पर कब्‍जा करना चाहती थीं. इसलिए अपने आश्रम के माध्‍यम से वहां बाहर के लोगों को बसाया जाने लगा. इसके साथ ही उन पर यह भी आरोप लगा कि वहां के स्‍थानीय लोगों को वहां से भगाने के लिए वहां के पेड़-पौधों पर विषाक्‍त बैक्‍टीरिया का इस्‍तेमाल किया गया. इससे लोग बीमार पड़ गए. इन तरीकों के इस्‍तेमाल से वह वोटिंग प्रतिशत पर अपने पक्ष में असर डालना चाहती थीं. सिर्फ इतना ही नहीं 1981-85 के बीच आश्रम को कई कानूनी मामलों का सामना करना पड़ा. चुनावी धोखाधड़ी के साथ शीला पर कत्‍ल की कोशिश के आरोप भी लगे.

4. इन आरोपों में 1985 में शीला को गिरफ्तार कर लिया गया. उन पर मुकदमा चला और शीला को 20 साल की सजा हुई. हालांकि बीबीसी को दिए एक इंटरव्‍यू के मुताबिक वह 39 महीने में ही अच्‍छे आचरण की वजह से रिहा हो गईं. इस बीच रजनीश के साथ उनके संबंधों में खटास आ गई.

5. जेल से रिहा होने के बाद रजनीश के शिष्‍य एक स्विस नागरिक से शादी कर ली. वह पिछले दो दशकों से स्विट्जरलैंड में रहती हैं और वहां दो नर्सिंग केयर होम का संचालन करती हैं. बीबीसी से बातचीत में मां आनंद शीला ने कहा कि उनको जीवन में किसी चीज का कोई पछतावा नहीं है. उन्‍होंने कहा कि वह एक विजेता हैं और जीवन में सबसे जरूरी बात यही है क्‍योंकि सभी हारा हुआ महसूस करते हैं.

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