अमोघता (कभी गलत न होना)
पूर्णता एक विक्षिप्त विचार है। अमोघता यानि कभी गलत न होने वाली बात मूर्ख पोलक पोप के लिए उचित है पर समझदार लोगों के लिए नहीं। बुद्धिमान व्यक्ति समझेगा कि जीवन एक जोखिम है, सतत खोज है प्रयास और गलतियों के द्वारा। यही आनंद है, यह बहुत रसपूर्ण है।
मैं नहीं चाहता कि तुम संपूर्ण हो जाओ। मैं चाहता हूं कि तुम जितना संभव हो उतना पूर्ण रूप से, अपूर्ण हो जाओ। अपने अपूर्ण होने का आनंद लो। अपने सामान्य होने का आनंद लो।
तथाकथित “परम पावन” (His holiness) से सावधान–वे सभी “परम धोखेबाज” (His phoniness) हैं। यदि तुम ऐसे बड़े शब्द पसंद करते हो “ह़िज होलीनेस’ तो ऐसी उपाधि बनाओ “ह़िज वेरी ऑर्डिनरीनेस’–एचवीओ, न कि एचएच। मैं सामान्य होना सिखाता हूं। मैं किसी तरह के चमत्कार का दावा नहीं करता; मैं साधारण व्यक्ति हूं। और मैं चाहता हूं कि तुम भी बहुत सामान्य बनो ताकि तुम इन दो विपरीत छोरों से मुक्त हो सको : अपराध बोध और पाखंड से। ठीक मध्य में स्वस्थ-मानसिकता है।
Osho, The Goose is Out, Talk #5
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