तुम्हारे माता-पिता
तुम्हारे माता-पिता कुछ कर रहे थे क्योंकि उन्हें वे चीजें करना सिखाया गया था। उनका भी माता-पिता द्वारा पालन-पोषण हुआ; वे स्वर्ग से सीधे नहीं आए। इसलिए पीछे उत्तरदायित्व को डालने का क्या मतलबहै? यह किसी समस्या का हल करने में मदद नहीं करेगी। यह सिर्फ तुम्हें अपने अपराध बोध से हल्का करने में मदद करेगी। यह इसका अच्छा हिस्साहै, मनोविश्लेषण का लाभकारी हिस्साहै। यह तुम्हें अपराध बोध से हल्का करताहै। और नुकसान दायक हिस्सा यहहै कि यह तुम्हें जिम्मेदार नहीं बनाता। मैं तुम्हें जिम्मेदारी सिखाता हूं।
जिम्मदारी से मेरा मतलब क्याहै? तुम अपने माता-पिता के प्रति जिम्मेदार नहीं हो, और तुम किसी परमात्मा के प्रति जिम्मेदार नहीं हो, और तुम किसी पंडित के प्रति जिम्मेदार नहीं हो–तुम अपने भीतर की चेतना के प्रति जिम्मेदार हो। जिम्मेदारी स्वतंत्रताहै। जिम्मेदारी यह विचारहै कि “मैं अपने जीवन की बागडोर अपने हाथ में लेता हूं। बहुत हो गया! मेरे माता-पिता जो कुछ भी कर सकते थे वे कर चुके: अच्छा और बुरा, उन्होंने दोनों किया। अब मुझे प्रौढ़ व्यक्ति बननाहै। मुझे हर चीज अपने हाथों में लेनी चाहिए और उस तरह से जीना शुरू करना चाहिए जैसा मेरे भीतर आताहै। मुझे अपनी सारी ऊर्जा को मेरे जीवन के लिए देना चाहिए।’ और तत्काल तुम महसूस करोगे कि बहुत सारी ऊर्जा तुम्हारे भीतर आएगी।
अपराध बोध से तुम कमजोर महसूस करते हो। जिम्मेदारी से तुम मजबूत महसूस करते हो। जिम्मेदारी तुम्हें फिर से साहस, आत्मविश्वास, श्रद्धा देतीहै।
Osho, Walk without Feet, Fly without Wings and Think without Mind , Talk #2
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