लोगों को भविष्य के प्रति बेखबर रखने में राजनेताओं और पंडित -पुजारियों के निहित स्वार्थ OSHO
राजनीतिक अंधापन आणविक युद्ध क्षितिज पर है, एड्स जैसा घातक रोग तेज गति से फैल रहा है, और वैज्ञानिक कहते हैं कि पृथ्वी अपनी धूरी को इस सदी के अंत में बदल लेगी। लेकिन पंडित, राजनेता और सरकारें इन तथ्यों के बारे में सचेत क्यों…
शांति की खोज | शांति कैसे मिले? | शांति और अशांति
मेरे पास न मालूम कितने लोग आते हैं। वे कहते हैं, शांत कैसे हों? मैं उनसे पूछता हूं कि पहले तुम मुझे बताओ कि तुम अशांत कैसे हुए? क्योंकि जब तक यह पता न चल जाए कि तुम कैसे अशांत हुए, तो शांत कैसे हो…
नीति और धर्म दो विपरीत दिशाएं
मैं नीति और धर्म की दिशाओं को भिन्न मानता हूं; भिन्न ही नहीं, विपरीत मानता हूं—क्यों मानता हूं, उसे समझाना चाहता हूं। नीति-साधना का अर्थ है : आचरण-शुद्धि, व्यवहार-शुद्धि। वह व्यक्तित्व की परिधि—को बदलने का प्रयास है। व्यक्तित्व की परिधि मेरा दूसरों से जो संबंध…
क्या मनुष्य को धर्म की आवश्यकता है?
वास्तविक धर्म को ईश्वर और शैतान, स्वर्ग और नरक से कुछ लेना-देना नहीं है। धर्म के लिए अंग्रेज़ी में जो शब्द है “रिलीजन’ वह महत्वपूर्ण है। उसे समझो, उसका मतलब है खंडों को, हिस्सों को संयुक्त करना; ताकि खंड-खंड न रह जाएं वरन पूर्ण हो…
साक्षी: समस्त धर्म-अनुभव की एकमात्र वैज्ञानिक आधारशिला – OSHO
साक्षी का मतलब क्या है? साक्षी का मतलब है: देखने वाला, गवाह। मैं शरीर नहीं हूं, ऐसा किसको अनुभव होता है? मैं मन नहीं हूं, ऐसा किसको अनुभव होता है? ऐसा कौन इनकार करता चला जाता है कि मैं यह नहीं हूं, मैं यह नहीं…
मनुष्य का स्वर्णिम भविष्य: एक महान चुनौती
विषय-सूची प्रस्तावना भाग 1: समस्याओं की जड़ें काट दो! – कोई भविष्य नहीं? – अतीत के साथ असातत्य – परस्पर-निर्भरता हमारी वास्तविकता है – राष्ट्रों के दिन लद गए – एक विश्व शासन – एक धार्मिकता – व्यक्तियों का जगत – पुरोहित और राजनीतिक –…
मैं हमेशा ऐसा अनुभव क्यों करता हूं, जैसे कि मेरा एक हिस्सा दूसरे हिस्से के विरुद्ध लड़ रहा है? OSHO
मनुष्य का इतिहास एक अत्यंत दुखद घटना रहा है, और इसके दुखद होने का कारण समझना बहुत कठिन नहीं है। उसे खोजने के लिए तुम्हें ज्यादा दूर जाना न पड़ेगा, वह प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद है। मनुष्य के पूरे अतीत ने मनुष्य में एक विभाजन…
मंत्र: मन का खेल – OSHO
मंत्र तो मन का ही खेल है। मंत्र शब्द का भी यही अर्थ है: मन का जाल, मन का फैलाव। मंत्र से मुक्त होना है, क्योंकि मन से मुक्त होना है। मन न रहेगा तो मंत्र को सम्हालोगे कहां? और अगर मंत्र को सम्हालना है…
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