इधर कुछ दिनों से मैं बहुत उदास रहने लगा हूं — अकारण।
तुम पकड़ रहे हो; यही सारी समस्या हो सकती है| तुम जीवन पर विश्वास नहीं करते| भीतर कहीं गहरे में जीवन के प्रति गहरा अविश्वास है, मानो तुम अगर नियंत्रण नहीं कर पाते, तब चीजें गलत हो जाएंगी। और अगर तुम उन पर नियंत्रण कर लेते हो केवल तब ही चीजें सही होने लगती हैं; मानो तुम्हें हमेशा सारी चीजों को प्रयत्न पूर्वक सम्हालना होगा| शायद इन सबमें तुम्हारे बचपन की किसी कंडीशनिंग ने मदद…
लोगों को भविष्य के प्रति बेखबर रखने में राजनेताओं और पंडित -पुजारियों के निहित स्वार्थ OSHO
राजनीतिक अंधापन आणविक युद्ध क्षितिज पर है, एड्स जैसा घातक रोग तेज गति से फैल रहा है, और वैज्ञानिक कहते हैं कि पृथ्वी अपनी धूरी को इस सदी के अंत में बदल लेगी। लेकिन पंडित, राजनेता और सरकारें इन तथ्यों के बारे में सचेत क्यों नहीं हैं? और क्यों वे जनता में जागरुकता पैदा करने में रुचि नहीं रखते? कृपया समझाएं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है जो पूछा जा सकता है, लेकिन तुम्हें…
शांति की खोज | शांति कैसे मिले? | शांति और अशांति
मेरे पास न मालूम कितने लोग आते हैं। वे कहते हैं, शांत कैसे हों? मैं उनसे पूछता हूं कि पहले तुम मुझे बताओ कि तुम अशांत कैसे हुए? क्योंकि जब तक यह पता न चल जाए कि तुम कैसे अशांत हुए, तो शांत कैसे हो सकोगे! एक आदमी मेरे पास लाया गया। उसने कहा, मैं अरविंद आश्रम से आता हूं। शिवानंद के आश्रम गया हूं। महेश योगी के पास गया हूं। ऋषिकेश हो आया। यहां…
नीति और धर्म दो विपरीत दिशाएं
मैं नीति और धर्म की दिशाओं को भिन्न मानता हूं; भिन्न ही नहीं, विपरीत मानता हूं—क्यों मानता हूं, उसे समझाना चाहता हूं। नीति-साधना का अर्थ है : आचरण-शुद्धि, व्यवहार-शुद्धि। वह व्यक्तित्व की परिधि—को बदलने का प्रयास है। व्यक्तित्व की परिधि मेरा दूसरों से जो संबंध है, उससे निर्मित होती है। वह दूसरों से मेरा व्यवहार है। मैं दूसरों के साथ कैसा हूं, वही मेरा आचरण है। आचरण यानी संबंध, रिलेशन।मैं अकेला नहीं हूं। मैं अपने…
क्या मनुष्य को धर्म की आवश्यकता है?
वास्तविक धर्म को ईश्वर और शैतान, स्वर्ग और नरक से कुछ लेना-देना नहीं है। धर्म के लिए अंग्रेज़ी में जो शब्द है “रिलीजन’ वह महत्वपूर्ण है। उसे समझो, उसका मतलब है खंडों को, हिस्सों को संयुक्त करना; ताकि खंड-खंड न रह जाएं वरन पूर्ण हो जाएं। “रिलीजन’ का मूल अर्थ है एक ऐसा संयोजन बिठाना कि अंश अंश न रहे बल्कि पूर्ण हो जाए। जुड़ कर प्रत्येक अंश स्वयं में संपूर्ण हो जाता है। पृथक…
साक्षी: समस्त धर्म-अनुभव की एकमात्र वैज्ञानिक आधारशिला – OSHO
साक्षी का मतलब क्या है? साक्षी का मतलब है: देखने वाला, गवाह। मैं शरीर नहीं हूं, ऐसा किसको अनुभव होता है? मैं मन नहीं हूं, ऐसा किसको अनुभव होता है? ऐसा कौन इनकार करता चला जाता है कि मैं यह नहीं हूं, मैं यह नहीं हूं, मैं यह नहीं हूं? एक तत्व है हमारे भीतर दर्शन का, दृष्टि का, द्रष्टा का, देखने का। हम देख रहे हैं; हम जांच रहे हैं। वह जो देख रहा…
मनुष्य का स्वर्णिम भविष्य: एक महान चुनौती
विषय-सूची प्रस्तावना भाग 1: समस्याओं की जड़ें काट दो! – कोई भविष्य नहीं? – अतीत के साथ असातत्य – परस्पर-निर्भरता हमारी वास्तविकता है – राष्ट्रों के दिन लद गए – एक विश्व शासन – एक धार्मिकता – व्यक्तियों का जगत – पुरोहित और राजनीतिक – भयंकर साजिश – क्षतिपूर्ति हो सकती है! भाग 2: नई मनुष्यता के लिए मेरी दृष्टि – गुणतंत्र – बुद्धिजीवियों के हाथों में सत्ता – सत्ता के लिए लोगों का प्रशिक्षण…
मैं हमेशा ऐसा अनुभव क्यों करता हूं, जैसे कि मेरा एक हिस्सा दूसरे हिस्से के विरुद्ध लड़ रहा है? OSHO
मनुष्य का इतिहास एक अत्यंत दुखद घटना रहा है, और इसके दुखद होने का कारण समझना बहुत कठिन नहीं है। उसे खोजने के लिए तुम्हें ज्यादा दूर जाना न पड़ेगा, वह प्रत्येक व्यक्ति में मौजूद है। मनुष्य के पूरे अतीत ने मनुष्य में एक विभाजन पैदा कर दिया है, हर आदमी के भीतर निरंतर एक शीत युद्ध चल रहा है। यदि तुम्हें बेचैनी का अनुभव होता है, तो उसका कारण व्यक्तिगत नहीं है। तुम्हारी बीमारी…
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