डॉक्टर क्या कहते हैं

जर्मनी के प्रसिद्ध साईकिएट्रिक सैनिटेरियम में सक्रिय ध्यान और कुंडलिनी ध्यान जर्मनी के डाक्टर जोआकिम गलूस्का मानसिक रोगियों के लिए एक मनोरोग-निदानशाला चलाते हैं। हाइलिगिनफेल्ट नामक इस सैनिटेरियम में प्रारंभ से ही ओशो ध्यान विधियां उपचार पद्धति का एक आवश्यक हिस्सा हैं। सक्रिय ध्यान के बारे में उनका कहना है कि मेरी दृष्टि में सक्रिय ध्यान एक सर्वाधिक शक्तिशाली विधि है। यह अवचेतन मन के बहुत से भागों को अनावृत करती है।’

उनका अनुभव है कि सक्रिय ध्यान ‘सामान्य व्यक्तियों के लिए एक श्रेष्ठ उपचार की विधि है। ऐसे लोगों को इसका प्रयोग करना चाहिए–तभी वह जान पाएंगे कि यह उनके लिए क्या कर सकती है।’

डा. गलूस्का असामान्य विक्षिप्त रोगियों को कुंडलिनी ध्यान की सलाह देते हैं। उनका कहना है कि “”ओशो की ध्यान विधियों की यह विशेषता है कि वे देह की ऊर्जा को संघटित करती हैं और कुंडलिनी ध्यान इसे बहुत कोमल और लयबद्ध ढंग से होने देता है।’

सक्रिय ध्यान से मनोदैहिक रोगों का उपचार डाक्टर रैना फॉल्क, जो कि एक मनश्चिकित्सक और तंत्रिका विशेषज्ञ है, हर माह अपने रोगियों को २१ दिवसीय सक्रिय ध्यान करवाती हैं।

वह बताती हैं: ‘मेरे पास जो रोगी आते हैं उन्हें दो वर्गों में बांटा जा सकता है। कुछ लोग मिग्रेन, उदर रोग, हृदय से पीठ के दर्द इत्यादी मनोदैहिक रोगों से पीड़ित होते हैं। ये ऐसे रोगी है जिनको लेकर डा. असहाय अनुभव करते हैं। और दूसरे वे हैं जो डिप्रेशन या अव्यक्त आक्रमण (Latent Aggression) से पीड़ित हैं। दोनों तरह के रोगियों के लिए सक्रिय ध्यान अत्यंत लाभकारी सिद्ध हुआ है। फाल्क किसी शोध के नजरिये से अपने रोगियों को सक्रिय ध्यान नहीं करवाती वह स्वयं इसे करना पसंद करती हैं।

उनके पिछले २१ दिवसीय प्रयोग में एक ऐसा व्यक्ति था जिसके कंधे और बाजू में इतना दर्द था कि उसे हर रोज इंजेक्शन लगाना पड़ता था। तभी वह अपनी बाजू हिला सकता था। एक सुबह सक्रिय ध्यान के बाद उसने पाया कि वह उसे हर तरह से हिला सकता है। एक और व्यक्ति जो डिप्रेशन (अवसाद) का मरीज था एक सप्ताह सक्रिय ध्यान करने के बाद एक पूरी रात अपनी पत्नी के साथ नृत्य करता रहा।

“वह आनंदित था,” फॉल्क कहती हैं, “लेकिन अब वह थोड़ा हैरान है कि यह जो इतनी नयी ऊर्जा जगी है, यह उसके जीवन को कैसे प्रभावित करेगी।’

 

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