SPEAKS ON ALL THE MYSTICS – OSHO Hindi Audio
“Osho does not teach any religion and does not belong to any particular religion. What he really teaches is religiousness – the real fragrance of all the flowers of existence, the Buddhas, the mystics and sages that this world has known. Osho has given thousands…
लोग मुहब्बत के लिए वेष्याओं के पास जा रहे है। सोचते हैं । रुपया देने से प्रेम कैसे मिल सकता है ? OSHO
कैसी-कैसी विडंबनाऐं(imitation) पेैदा हो जाती है। लोग मुहब्बत के लिए वेष्याओं के पास जा रहे है। सोचते हैं, शायद पैसा देने से मिल जाएगा। रुपया देने से प्रेम कैसे मिल सकता है ? प्यार को तो खरीदा नहीं जा सकता। लोग सोचते हैं, जब हम…
पुरुष बिलकुल अधूरा है, स्त्री के बिना तो बहुत अधूरा है। OSHO
बुनियादी भूल जो सारी शिक्षा और सारी सभ्यता को खाए जा रही है, वह यह है कि अब तक के जीवन का सारा निर्माण पुरुष के आसपास हुआ है, स्त्री के आसपास नहीं। अब तक की सारी सभ्यता, सारी संस्कृति, सारी शिक्षा पुरुष ने निर्मित…
उदासी उतना उदास नहीं करती, जितना उदासी आ गई, यह बात उदास करती है। OSHO
उदासी उदासी उतना उदास नहीं करती, जितना उदासी आ गई, यह बात उदास करती है। उदासी की तो अपनी कुछ खूबियां हैं, अपने कुछ रहस्य हैं। अगर उदासी स्वीकार हो तो उदासी का भी अपना मजा है। मुझे कहने दो इसी तरह, कि उदासी का…
वजन शरीर का होता है, तुम्हारा नहीं। तुम वजन रहित हो।
अनुभव करो कि तुम वजन रहित हो। जब बैठोगे तब ऐसा अनुभव करो कि तुम वजन रहित हो गए हो, तुम्हारा कोई वजन नहीं है। तुम्हें ऐसा लगेगा को कहीं न कहीं कोई वजन है लेकिन वजन न होने को अनुभव करते रहो। वह आता…
तुम एक स्त्री या एक पुरुष के प्रेम में पड़ते हो, क्या तुम सही-सही बता सकते हो कि इस स्त्री ने तुम्हें क्यों आकर्षित किया?
तुम्हें कैसे पता चलता है कि कोई सचमुच तुम्हें प्रेम करता है? आदमी के व्यक्तित्व के तीन तल हैं: उसका शरीर विज्ञान, उसका शरीर, उसका मनोविज्ञान, उसका मन और उसका अंतरतम या शाश्वत आत्मा। प्रेम इन तीनों तलों पर हो सकता है लेकिन उसकी गुणवत्ताएं…
“इंद्रधनुष जैसा है प्रेम !” – ओशो
प्रश्न- ‘प्रेम का नाता’ क्या होता है? प्रेम और घृणा का आपस में क्या नाता है? प्रेम और घृणा के बीच वही नाता है जो जन्म और मृत्यु के बीच में है, जो धूप-छाया के बीच में है। जो दिन और रात के बीच में;…
“प्रभु कृपा का एहसास कैसे हो?” – मा ओशो प्रिया
प्रश्न:भक्तगण कहते हैं परमात्मा सर्वत्र है। उसकी मेहरबानी सदा बरस ही रही है। फिर भी सब लोगों को प्रभु कृपा का एहसास क्यों नहीं होता? ईश्वर के प्रति श्रद्धा, भक्ति, शुक्रगुजारी कैसे जन्में? कृपया समझाने की अनुकंपा करें। मेरे प्रिय आत्मन् नमस्कार। परमात्मा में हम…
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