केवल एक प्रेमपूर्ण व्यक्ति- जो पहले से ही प्रेमपूर्ण है-सही साथी ढूंढ सकता है। OSHO

समान का समान के प्रति आकर्षण

केवल एक प्रेमपूर्ण व्यक्ति- जो पहले से ही प्रेमपूर्ण है-सही साथी ढूंढ सकता है।

मेरे देखे यदि तुम प्रसन्न हो तो तुम कोई ऐसा व्यक्ति खोज  लोगे जो प्रसन्न है। दु:खी लोग दु:खी लोगों के प्रति आकार्षित होते हैं। और यह शुभ है, यह स्वाभाविक है। यह शुभ है कि  अप्रसन्न लोग प्रसन्न लोगों के प्रति आकर्षित नहीं होते। अन्यथा वे उनकी प्रसन्न्ता का नाश कर देंगे। यह पूर्णतया ठीक है।

केवल प्रसन्न लोग प्रसन्न लोगों के प्रति आकर्षित होते हैं।

समान समान को आकर्षित करता है।बुद्धिमान लोग बुद्धिमान लोगों के प्रति आकर्षित होते हैं।

, और मूढ़ लोग मूढ़ों के प्रति।।

तुम अपने समान स्तर के लोगों से ही मिलते हो। तो स्मरण रखने योग्य प्रथम बात तो यह है कि: संबंध निश्चित ही कटु होंगे यदि वे अप्रसन्नता में पल्लवित होते हैं। सर्वप्रथम प्रसन्न हो जाओ, आंदित हो जाओ, उत्सवपूर्ण हो जाओ, और तब तुम देख पाओगे दूसरे लोगों को जो आनंदित हैं। फिर दो नृत्य करती आत्माओं का मिलन होगा तथा एक महान नृत्य होगा पैदा होगा।

अकेलेपन से ऊब कर संबंधों की मांग मत करो। तब तुम ग़लत दिशा की ओर अग्रसर हो। तब दूसरे को तुम एक माध्यम की तरह इस्तेमाल कर रहे हो, और दूसरा भी तुम्हें माध्यम बना रह है।

पहले अकेले होना सीखो। ध्यान अकेले होने का एक मार्ग है।

यदि तुम अकेले रह कर भी प्रसन्न हो सकते हो तो तुमने प्रसन्न होने का राज़ सीख लिया है। अब तुम किसी के साथ भी प्रसन्न रह सकते हो। यदि तुम प्रसन्न हो तो तुम्हारे पास कुछ बांटने को है, देने को है। और जब तुम देते हो तो तुम्हें मिलता है, अन्यथा नहीं। तब किसी से प्रेम करने की ज़रूरत पैदा होती है।

साधारणतया किसी से प्रेम पाने की ज़रूरत महसूस होती है। यह एक बचकानी ज़रूरत है, तुम प्रौढ़ नहीं हुए, यह एक बच्चे का भाव है।

एक बच्चा पैदा होता है। स्वभाविकत: बच्चा मां को प्रेम नहीं कर सकता, उसे नहीं मालूम कि प्रेम क्या होता है, न ही उसे पता है कि कौन मां है कौन पिता। वह पूर्णतया असहाय है। उसका अभी स्वयं के साथ एकीकरण होना है। अभी उसका स्वयं से एकात्म नहीं हुआ, अभी वह स्वयं में स्थित नहीं हुआ। वह बस एक संभावना है। मां को उसे प्रेम करना है, बाप को उसे प्रेम करना है, परिवार को उस पर प्रेम की बौछार करनी है। उसे एक ही बात समझ आती है कि सबको उसे प्रेम करना है। वह यह कभी सीखता ही नहीं कि उसे भी किसी को प्रेम करना है। अब वह बड़ा होगा, और यदि वह इस भाव से ही जुड़ा रहा कि सबने उसे ही प्रेम करना है तो वह पूरा जीवन दु:ख से पीड़ित रहेगा। उसकी देह तो बड़ी हो गई लेकिन उसका मन अप्रौढ़ रह गया है।

एक प्रौढ़ व्यक्ति वह है जिसे अपनी दूसरी ज़रूरत समझ में आ जाती है: कि अब उसे दूसरे को प्रेम करना है।

यह ज़रूरत कि दूसरा मुझे प्रेम करे, बचकानी है, अप्रौढ़ है।

और जब तुम दूसरे को प्रेम करने को तैयार हो, एक सुंदर संबंध पैदा होती है, अन्यथा नहीं। .“ क्या यह सभव है कि दो लोग, जिनका सबंध है, एक-दूसरे के लिये बुरे हों? “ हां,यही तो पूरे विश्व में हो रहा है। अच्छे होना अति कठिन है। तुम तो स्वयं के साथ ही अच्छे नहीं, दूसरे के साथ कैसे अच्छे हो सकते हो?

तुम स्वयं से प्रेम नहीं करते! किसी और से तुम कैसे प्रेम कर पाओगे? स्वयं से प्रेम करो, स्वयं के साथ अच्छा व्यवहार करो।

तुम्हारे तथाकथित धार्मिक संत तुम्हें पढ़ाते रहे हैं कि स्वयं से प्रेम न करो, स्वय से कभी अच्छा व्यवहार न करो। स्वयं के साथ कठोरता से पेश आओ! वह तुम्हें सिखाते रहे हैं कि दूसरों के साथ कोमलता से पेश आओ, लेकिन स्वयं के साथ कठोरता से। यह बेतुकी बात है।

मैं तुम्हें सिखाता हूं कि सर्वप्रथम बात है स्वयं से प्रेम करना। स्वयं से कठोरता से नहीं कोमलता से पेश आओ अपना ध्यान रखो। स्वयं को क्षमा करना सीखो- बार-बार, लगातार, एक बार फिर- सात बार, सतत्तर बार, सात सौ सतत्तर बार। स्वयं को क्षमा करना सीखो स्वयं से कठोर मत होओ अपने खिलाफ मत होओ। तब तुम खिलोगे।

उस खिलावट में तुम किसी दूसरे फूल को आकर्षित कर सकोगे। यह स्वाभाविक है। पत्थर पत्थरों को आकर्षित करते हैं, फ़ूल फ़ूलों को। तब एक संबंध बनता है जिसमें गरिमा होती है, सौन्दर्य होता है, प्रसाद होता है। यदि तुम ऐसा संबंध स्थापित कर सकते हो तो यह संबंध प्रार्थना में परिवर्तितित  हो जाता है, तुम्हारा प्रेम आनंद में रूपांतरित हो जाता है और उस प्रेम के माध्यम से तुम भगवत्ता को पहचान पाते हो।
एक्सटसी: दि फ़र्गॉटन लैंगुएज

इस विषय पर और अधिक अध्ययन करने के लिये https://osholifestyle.com/   में जायें।

1 thought on “केवल एक प्रेमपूर्ण व्यक्ति- जो पहले से ही प्रेमपूर्ण है-सही साथी ढूंढ सकता है। OSHO”

  1. Pingback: 21 oct – Ana Audio banavi ne moklo

Leave a Reply

Scroll to Top