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कोरोना जैसी महामारियों से लड़ने के लिए ओशो दे गए ये ज्ञान, बहुत काम की है बात
70 के दशक में हैजा भी महामारी के रूप में पूरे विश्व में फैला था, तब अमेरिका में किसी ने ओशो रजनीश जी से प्रश्न किया- इस महामारी से कैसे बचें? तब ओशो ने विस्तार से जो समझाया वो आज कोरोना के संबंध में भी…
मन बहुत ही चालाक होता है, वो कुछ भी करता चला जाता है और उसे तर्कसंगत बनाता जाता है।
खिलावट “स्मरण रखें, ध्यान तुम में और-और प्रज्ञा लाएगा, अनंत प्रज्ञा, दीप्तिमान प्रज्ञा। ध्यान तुम्हें और जीवंत और संवेदनशील बना देगा। तुम्हारा जीवन समृद्ध हो जाएगा। “साधु-संतो को देखो: उनका जीवन ऐसा हो गया है जैसे कि वो जीवन ही नहीं। ये लोग ध्यानी नहीं…
आधुनिक पीढ़ी “मौन में बैठने” की कोशिश करेगी, तो उन्हें अपने भीतर का पागलपन दिखाई पड़ेगा।
ओशो समकालीन लोगों के लिए ध्यान, जागरूकता, चेतना उपलब्ध कराने में एक क्रांति का प्रतिनिधित्व करते हैं। और उस सरल प्रस्ताव का भी जो स्वयं के जीवन के बदलाव के लिए है… उनकी समझ है कि यदि आधुनिक पीढ़ी “मौन में बैठने” की कोशिश करेगी,…
लोग मुहब्बत के लिए वेष्याओं के पास जा रहे है। सोचते हैं । रुपया देने से प्रेम कैसे मिल सकता है ? OSHO
कैसी-कैसी विडंबनाऐं(imitation) पेैदा हो जाती है। लोग मुहब्बत के लिए वेष्याओं के पास जा रहे है। सोचते हैं, शायद पैसा देने से मिल जाएगा। रुपया देने से प्रेम कैसे मिल सकता है ? प्यार को तो खरीदा नहीं जा सकता। लोग सोचते हैं, जब हम…
पुरुष बिलकुल अधूरा है, स्त्री के बिना तो बहुत अधूरा है। OSHO
बुनियादी भूल जो सारी शिक्षा और सारी सभ्यता को खाए जा रही है, वह यह है कि अब तक के जीवन का सारा निर्माण पुरुष के आसपास हुआ है, स्त्री के आसपास नहीं। अब तक की सारी सभ्यता, सारी संस्कृति, सारी शिक्षा पुरुष ने निर्मित…
स्त्रियों ने उद्घोषणा की है समानता की, तो पुरुषों की छाती पर साँप लौट रहे हैं OSHO
पहली दफा दुनिया में एक स्वतंत्रता की हवा पैदा हुई है, लोकतंत्र की हवा पैदा हुई है और स्त्रियों ने उद्घोषणा की है समानता की, तो पुरुषों की छाती पर साँप लौट रहे हैं। मगर मजा भी यह है कि पुरुषों की छाती पर साँप…
जब कामवासना पकड़े , तब डरो मत। शांत होकर बैठ जाओ। जोर से श्वास को बाहर फेंको – OSHO
भीतर मत लो श्वास को। क्योंकि जैसे भी तुम भीतर गहरी श्वास को लोगे, भीतर जाती श्वास काम-ऊर्जा को नीचे की तरफ धकाती है। जब तुम्हें काम-वासना पकड़े, तब एक्सहेल करो। बाहर फेंको श्वास को। नाभि को भीतर खींचो, पेट को भीतर लोग और श्वास…
पत्नी अपने पति को वेश्या के घर पहुंचा दे तो हम कहते है: ‘’यह है चरित्र, देखो क्या चरित्र है। OSHO
स्त्री पहली बार चरित्रवान हो रही है—ओशो ओशो—तुम्हारे चरित्र का एक ही अर्थ होता है, बस कि स्त्री पुरूष से बंधी रहे, चाहे पुरूष कैसा ही गलत हो। हमारे शास्त्रों में इसकी बड़ी प्रशंसा की गई है। कि अगर कोई पत्नी अपने पति को—बूढ़े, मरते,…
ओशो का कहना है कि व्यक्ति एक रात या दिन में कम से कम चार बार संभोग कर सकता है। OSHO
ओशो कहते थे- लड़के-लड़कियों को अलग हॉस्टल में रखोगे तो समलैंगिक बनेंगे ओशो कहते हैं कि 18 साल की उम्र में कामवासना चरम पर होती है और ऐसे वक्त में सामाजिक व्यवस्था में लड़के और लड़कियों को एक दूसरे से दूर रखने की कोशिश की…
गरीब जब भी मेरे पास पहुंच जाता है तभी मैं अपने को असहाय पाता हूं OSHO
ओशो – गरीब आदमी ओशो प्रेम नमन जी मुझसे लोग कहते हैं कि आप गरीबों के लिए क्यों नहीं कुछ करते? यहां आपके आश्रम में गरीब के लिए प्रवेश नहीं मिल पाता। ओशो― उसके पीछे कारण हैं। गरीब जब भी मेरे पास पहुंच जाता है…
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