बुद्ध से 11 प्रश्न – ओशो
बुद्ध से मौलुंकपुत्त के ग्यारह प्रश्न – ओशो मौलुंकपुत्त नाम के एक युवक ने जाकर, बुद्ध से ग्यारह प्रश्न पूछे। उन ग्यारह प्रश्नों में जीवन
बुद्ध से मौलुंकपुत्त के ग्यारह प्रश्न – ओशो मौलुंकपुत्त नाम के एक युवक ने जाकर, बुद्ध से ग्यारह प्रश्न पूछे। उन ग्यारह प्रश्नों में जीवन
तुम पकड़ रहे हो; यही सारी समस्या हो सकती है| तुम जीवन पर विश्वास नहीं करते| भीतर कहीं गहरे में जीवन के प्रति गहरा अविश्वास
राजनीतिक अंधापन आणविक युद्ध क्षितिज पर है, एड्स जैसा घातक रोग तेज गति से फैल रहा है, और वैज्ञानिक कहते हैं कि पृथ्वी अपनी धूरी
ओशो:- ऐसा लगता है, बहुत बार तुम सोचते भी नहीं कि क्या पूछ रहे हो! प्रेम और समर्पण का एक ही अर्थ होता है। प्रेम
जॉर्ज गुरजिएफ गुरजिएफ कहता है, “तुम मात्र शरीर के और कुछ नहीं, और जब शरीर मरेगा तुम भी मरोगे। कभी एकाध दफा कोई व्यक्ति मृत्यु
प्रेम निर्दोष होता है जब यह और कुछ नहीं बस ऊर्जा का बांटना होता है। तुम्हारे पास बहुत अधिक है, इसलिए तुम बांटते हो… तुम
बदलाव दुख पैदा होता है क्योंकि हम बदलाव को होने नहीं देते। हम पकड़ते हैं, हम चाहते हैं कि चीजें स्थिर हों। यदि तुम स्त्री
तुम्हारे माता-पिता तुम्हारे माता-पिता कुछ कर रहे थे क्योंकि उन्हें वे चीजें करना सिखाया गया था। उनका भी माता-पिता द्वारा पालन-पोषण हुआ; वे स्वर्ग से