Osho On Topics

The distinction between the subjective and the objective art is basically based on meditation. Anything that comes out of mind will remain subjective art.

बुद्ध से 11 प्रश्न – ओशो

बुद्ध से मौलुंकपुत्त के ग्यारह प्रश्न – ओशो मौलुंकपुत्त नाम के एक युवक ने जाकर, बुद्ध से ग्यारह प्रश्न पूछे। उन ग्यारह प्रश्नों में जीवन के सारे प्रश्न आ जाते हैं। उन ग्यारह प्रश्नों में तत्व चिंतन जिन्हें सोचता है वे सारी समस्याएं आ जाती हैं। बहुत मीठा संवाद हआ। मौलंकपत्त ने अपने प्रश्न पूछे। […]

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photo of a woman sitting beside statue

इधर कुछ दिनों से मैं बहुत उदास रहने लगा हूं — अकारण।

तुम पकड़ रहे हो; यही सारी समस्या हो सकती है| तुम जीवन पर विश्वास नहीं करते| भीतर कहीं गहरे में जीवन के प्रति गहरा अविश्वास है, मानो तुम अगर नियंत्रण नहीं कर पाते, तब चीजें गलत हो जाएंगी। और अगर तुम उन पर नियंत्रण कर लेते हो केवल तब ही चीजें सही होने लगती हैं;

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लोगों को भविष्य के प्रति बेखबर रखने में राजनेताओं और पंडित -पुजारियों के निहित स्वार्थ OSHO

राजनीतिक अंधापन आणविक युद्ध क्षितिज पर है, एड्‌स जैसा घातक रोग तेज गति से फैल रहा है, और वैज्ञानिक कहते हैं कि पृथ्वी अपनी धूरी को इस सदी के अंत में बदल लेगी। लेकिन पंडित, राजनेता और सरकारें इन तथ्यों के बारे में सचेत क्यों नहीं हैं? और क्यों वे जनता में जागरुकता पैदा करने

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प्रश्न:- क्या प्रेम के बिना समर्पण हो सकता है?

ओशो:- ऐसा लगता है, बहुत बार तुम सोचते भी नहीं कि क्या पूछ रहे हो! प्रेम और समर्पण का एक ही अर्थ होता है। प्रेम के बिना कैसा समर्पण। और अगर समर्पण न हो तो कैसा प्रेम! प्रेम के बिना तो समर्पण हो ही नहीं सकता। प्रेम के बिना जो समर्पण होता है, वह समर्पण

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गुरजिएफ कहता है, “तुम मात्र शरीर के और कुछ नहीं

जॉर्ज गुरजिएफ गुरजिएफ कहता है, “तुम मात्र शरीर के और कुछ नहीं, और जब शरीर मरेगा तुम भी मरोगे। कभी एकाध दफा कोई व्यक्ति मृत्यु से बच पाता है–केवल वही जो अपने जीवन में आत्मा का सृजन कर लेता है मृत्यु से बचता है–सब नहीं। कोई बुद्ध; कोई जीसस, पर तुम नहीं। तुम बस मर

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प्रेम तब निर्दोष होता है जब उसमें कोई वजह नहीं होती।

प्रेम निर्दोष होता है जब यह और कुछ नहीं बस ऊर्जा का बांटना होता है। तुम्हारे पास बहुत अधिक है, इसलिए तुम बांटते हो… तुम बांटना चाहते हो। और जिसके साथ भी तुम बांटते हो, तुम उसके प्रति अनुग्रह महसूस करते हो, क्योंकि तुम बादल की तरह थे–बरसात की पानी से बहुत भरे हुए–और किसी

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दुख पैदा होता है क्योंकि हम बदलाव को होने नहीं देते। OSHO

बदलाव दुख पैदा होता है क्योंकि हम बदलाव को होने नहीं देते। हम पकड़ते हैं, हम चाहते हैं कि चीजें स्थिर हों। यदि तुम स्त्री को प्रेम करते हो तो तुम चाहते हो की आने वाले कल में भी वह तुम्हारी रहे, वैसी ही जैसी कि वह तुम्हारे लिए आज है। इस तरह से दुख

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osho-on-topics/your-parents

तुम्हारे माता-पिता कुछ कर रहे थे क्योंकि उन्हें वे चीजें करना सिखाया गया था। OSHO

तुम्हारे माता-पिता तुम्हारे माता-पिता कुछ कर रहे थे क्योंकि उन्हें वे चीजें करना सिखाया गया था। उनका भी माता-पिता द्वारा पालन-पोषण हुआ; वे स्वर्ग से सीधे नहीं आए। इसलिए पीछे उत्तरदायित्व को डालने का क्या मतलबहै? यह किसी समस्या का हल करने में मदद नहीं करेगी। यह सिर्फ तुम्हें अपने अपराध बोध से हल्का करने

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