इधर कुछ दिनों से मैं बहुत उदास रहने लगा हूं — अकारण।
तुम पकड़ रहे हो; यही सारी समस्या हो सकती है| तुम जीवन पर विश्वास नहीं करते| भीतर कहीं गहरे में जीवन के प्रति गहरा अविश्वास है, मानो तुम अगर नियंत्रण नहीं कर पाते, तब चीजें गलत हो जाएंगी। और अगर तुम उन पर नियंत्रण कर लेते हो केवल तब ही चीजें सही होने लगती हैं; मानो तुम्हें हमेशा सारी चीजों को प्रयत्न पूर्वक सम्हालना होगा| शायद इन सबमें तुम्हारे बचपन की किसी कंडीशनिंग ने मदद…
लोगों को भविष्य के प्रति बेखबर रखने में राजनेताओं और पंडित -पुजारियों के निहित स्वार्थ OSHO
राजनीतिक अंधापन आणविक युद्ध क्षितिज पर है, एड्स जैसा घातक रोग तेज गति से फैल रहा है, और वैज्ञानिक कहते हैं कि पृथ्वी अपनी धूरी को इस सदी के अंत में बदल लेगी। लेकिन पंडित, राजनेता और सरकारें इन तथ्यों के बारे में सचेत क्यों नहीं हैं? और क्यों वे जनता में जागरुकता पैदा करने में रुचि नहीं रखते? कृपया समझाएं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है जो पूछा जा सकता है, लेकिन तुम्हें…
प्रश्न:- क्या प्रेम के बिना समर्पण हो सकता है?
ओशो:- ऐसा लगता है, बहुत बार तुम सोचते भी नहीं कि क्या पूछ रहे हो! प्रेम और समर्पण का एक ही अर्थ होता है। प्रेम के बिना कैसा समर्पण। और अगर समर्पण न हो तो कैसा प्रेम! प्रेम के बिना तो समर्पण हो ही नहीं सकता। प्रेम के बिना जो समर्पण होता है, वह समर्पण नहीं है, जबरदस्ती है। जैसे किसी आदमी ने तुम्हारी छाती पर छुरी रख दी और कहा, करो समर्पण! और तुम्हें…
गुरजिएफ कहता है, “तुम मात्र शरीर के और कुछ नहीं
जॉर्ज गुरजिएफ गुरजिएफ कहता है, “तुम मात्र शरीर के और कुछ नहीं, और जब शरीर मरेगा तुम भी मरोगे। कभी एकाध दफा कोई व्यक्ति मृत्यु से बच पाता है–केवल वही जो अपने जीवन में आत्मा का सृजन कर लेता है मृत्यु से बचता है–सब नहीं। कोई बुद्ध; कोई जीसस, पर तुम नहीं। तुम बस मर जाओगे, तुम्हारा कोई निशान नहीं बचेगा।” गुरजिएफ क्या करना चाह रहा था? वह तुम्हें तुम्हारी जड़ों से हिला रहा था;…
प्रेम तब निर्दोष होता है जब उसमें कोई वजह नहीं होती।
प्रेम निर्दोष होता है जब यह और कुछ नहीं बस ऊर्जा का बांटना होता है। तुम्हारे पास बहुत अधिक है, इसलिए तुम बांटते हो… तुम बांटना चाहते हो। और जिसके साथ भी तुम बांटते हो, तुम उसके प्रति अनुग्रह महसूस करते हो, क्योंकि तुम बादल की तरह थे–बरसात की पानी से बहुत भरे हुए–और किसी ने तुम्हें हल्का होने में मदद की। या तुम फूल जैसे थे, खुशबू से भरे हुए, और हवा आकर तुम्हें…
दुख पैदा होता है क्योंकि हम बदलाव को होने नहीं देते। OSHO
बदलाव दुख पैदा होता है क्योंकि हम बदलाव को होने नहीं देते। हम पकड़ते हैं, हम चाहते हैं कि चीजें स्थिर हों। यदि तुम स्त्री को प्रेम करते हो तो तुम चाहते हो की आने वाले कल में भी वह तुम्हारी रहे, वैसी ही जैसी कि वह तुम्हारे लिए आज है। इस तरह से दुख पैदा होता है। कोई भी आने वाले क्षण के लिए सुनिश्चित नहीं हो सकता–आने वाले कल कि तो बात ही…
तुम्हारे माता-पिता कुछ कर रहे थे क्योंकि उन्हें वे चीजें करना सिखाया गया था। OSHO
तुम्हारे माता-पिता तुम्हारे माता-पिता कुछ कर रहे थे क्योंकि उन्हें वे चीजें करना सिखाया गया था। उनका भी माता-पिता द्वारा पालन-पोषण हुआ; वे स्वर्ग से सीधे नहीं आए। इसलिए पीछे उत्तरदायित्व को डालने का क्या मतलबहै? यह किसी समस्या का हल करने में मदद नहीं करेगी। यह सिर्फ तुम्हें अपने अपराध बोध से हल्का करने में मदद करेगी। यह इसका अच्छा हिस्साहै, मनोविश्लेषण का लाभकारी हिस्साहै। यह तुम्हें अपराध बोध से हल्का करताहै। और नुकसान…
तुम जिम्मेदारी शब्द का अर्थ तक नहीं समझते। OSHO
तुम जिम्मेदारी शब्द का अर्थ तक नहीं समझते। समाज बड़ा चालाक है। इसने हमारे सबसे सुंदर शब्दों को विकृत अर्थ देकर नष्ट कर दिया है। सामान्यतया तुम्हारे शब्दकोशों में ‘जिम्मेदारी’ का मतलब कर्तव्य होता है, चीजों को उस तरह से करना जिस तरह से तुम्हारे माता-पिता, तुम्हारे शिक्षक, तुम्हारे पंडित, तुम्हारे राजनेता–किन्हीं दूसरों द्वारा अपेक्षा की जाती है। तुम्हारे बड़े-बुजर्गों व तुम्हारे समाज द्वारा तुम्हारे ऊपर थोपी गई मांगों को पूरा करना तुम्हारी जिम्मेदारी है।…
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