आधुनिक पीढ़ी “मौन में बैठने” की कोशिश करेगी, तो उन्हें अपने भीतर का पागलपन दिखाई पड़ेगा।
ओशो समकालीन लोगों के लिए ध्यान, जागरूकता, चेतना उपलब्ध कराने में एक क्रांति का प्रतिनिधित्व करते हैं। और उस सरल प्रस्ताव का भी जो स्वयं के जीवन के बदलाव के लिए है… उनकी समझ है कि यदि आधुनिक पीढ़ी “मौन में बैठने” की कोशिश करेगी,…
शांति की खोज | शांति कैसे मिले? | शांति और अशांति
मेरे पास न मालूम कितने लोग आते हैं। वे कहते हैं, शांत कैसे हों? मैं उनसे पूछता हूं कि पहले तुम मुझे बताओ कि तुम अशांत कैसे हुए? क्योंकि जब तक यह पता न चल जाए कि तुम कैसे अशांत हुए, तो शांत कैसे हो…
इधर कुछ दिनों से मैं बहुत उदास रहने लगा हूं — अकारण। OSHO
तुम पकड़ रहे हो; यही सारी समस्या हो सकती है| तुम जीवन पर विश्वास नहीं करते| भीतर कहीं गहरे में जीवन के प्रति गहरा अविश्वास है, मानो तुम अगर नियंत्रण नहीं कर पाते, तब चीजें गलत हो जाएंगी। और अगर तुम उन पर नियंत्रण कर…
पहला आपरेशन था पूरी पृथ्वी पर, जो बिना बेहोशी की दवा दिए किया गया। OSHO
काशी नरेश के पेट का आपरेशन हुआ १९१५ के करीब। वह पहला आपरेशन था पूरी पृथ्वी पर, जो बिना बेहोशी की दवा दिए किया गया। पहले तो डाक्टर ने इनकार कर दिया। तीन अंग्रेज डाक्टर थे। उन्होंने इनकार कर दिया कि यह संभव नहीं है।…
तुम जिम्मेदारी शब्द का अर्थ तक नहीं समझते। OSHO
तुम जिम्मेदारी शब्द का अर्थ तक नहीं समझते। समाज बड़ा चालाक है। इसने हमारे सबसे सुंदर शब्दों को विकृत अर्थ देकर नष्ट कर दिया है। सामान्यतया तुम्हारे शब्दकोशों में ‘जिम्मेदारी’ का मतलब कर्तव्य होता है, चीजों को उस तरह से करना जिस तरह से तुम्हारे…
दुनिया में चेतना नहीं है। यह एक सामूहिक बेहोशी है। – OSHO
भीड़ मैं दुनिया में किसी तरह की भीड़ नहीं चाहता। वह चाहे धर्म के नाम पर इकट्ठी हुई हो, या देश के नाम पर, या वर्ग के नाम पर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। भीड़ उस रूप में एक कुरूप चीज है, और भीड़ ने…
जनसंख्या विस्फोट – Population explosion OSHO
जनसंख्या विस्फोट उन्नीस सौ सैंतालीस में जितनी हमारी संख्या थी पूरे हिंदुस्तान-पाकिस्तान की मिल कर, आज अकेले हिंदुस्तान की उससे ज्यादा है। यह संख्या अगर इसी अनुपात में बढ़ी चली जाती है और फिर दुख बढ़ता है, दारिद्रय बढ़ता है, दीनता बढ़ती है, बेकारी बढ़ती…
सबसे बड़ा दुर्भाग्य है कि हर आदमी किसी और जैसा होना चाह रहा है OSHO
किसी और जैसे बनने की कोशिश किस लिए? मनुष्य के साथ यह दुर्भाग्य हुआ है। यह सबसे बड़ा दुर्भाग्य है, अभिशाप है जो मनुष्य के साथ हुआ है कि हर आदमी किसी और जैसा होना चाह रहा है और कौन सिखा रहा है यह? यह…
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