Emotional Ecology

Greed: Emotional Ecology shows you how to enjoy emotional well-being. Insights into how to be with, and deal with feelings, yours and those of others.

हमें लोगों से मिलना इतना मुश्किल क्यों लगता है?

“इसे देखें – आप किसी से कैसे संबंधित हो सकते हैं? दूसरा आपकी पकड़ से बाहर रहता है। दूसरा अन्य बना रहता है, पहुंच से बाहर। आप परिधि को छू सकते हैं और दूसरा यह भी दिखावा कर सकता है कि हां, आपने रिश्ता बनाया है, लेकिन हम अकेले रहते हैं। रिश्ते सिर्फ दिखावे के लिए होते हैं। वे मदद करते […]

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आधुनिक पीढ़ी “मौन में बैठने” की कोशिश करेगी, तो उन्हें अपने भीतर का पागलपन दिखाई पड़ेगा।

ओशो समकालीन लोगों के लिए ध्यान, जागरूकता, चेतना उपलब्ध कराने में एक क्रांति का प्रतिनिधित्व करते हैं। और उस सरल प्रस्ताव का भी जो स्वयं के जीवन के बदलाव के लिए है… उनकी समझ है कि यदि आधुनिक पीढ़ी “मौन में बैठने” की कोशिश करेगी, तो उन्हें अपने भीतर का पागलपन दिखाई पड़ेगा। उनकी इस

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शांति की खोज | शांति कैसे मिले? | शांति और अशांति

मेरे पास न मालूम कितने लोग आते हैं। वे कहते हैं, शांत कैसे हों? मैं उनसे पूछता हूं कि पहले तुम मुझे बताओ कि तुम अशांत कैसे हुए? क्योंकि जब तक यह पता न चल जाए कि तुम कैसे अशांत हुए, तो शांत कैसे हो सकोगे! एक आदमी मेरे पास लाया गया। उसने कहा, मैं

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इधर कुछ दिनों से मैं बहुत उदास रहने लगा हूं — अकारण। OSHO

तुम पकड़ रहे हो; यही सारी समस्या हो सकती है| तुम जीवन पर विश्वास नहीं करते| भीतर कहीं गहरे में जीवन के प्रति गहरा अविश्वास है, मानो तुम अगर नियंत्रण नहीं कर पाते, तब चीजें गलत हो जाएंगी। और अगर तुम उन पर नियंत्रण कर लेते हो केवल तब ही चीजें सही होने लगती हैं;

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पहला आपरेशन था पूरी पृथ्वी पर, जो बिना बेहोशी की दवा दिए किया गया। OSHO

काशी नरेश के पेट का आपरेशन हुआ १९१५ के करीब। वह पहला आपरेशन था पूरी पृथ्वी पर, जो बिना बेहोशी की दवा दिए किया गया। पहले तो डाक्टर ने इनकार कर दिया। तीन अंग्रेज डाक्टर थे। उन्होंने इनकार कर दिया कि यह संभव नहीं है। क्योंकि किसी आदमी के पेट का आपरेशन हो, और दो

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तुम जिम्मेदारी शब्द का अर्थ तक नहीं समझते। OSHO

तुम जिम्मेदारी शब्द का अर्थ तक नहीं समझते। समाज बड़ा चालाक है। इसने हमारे सबसे सुंदर शब्दों को विकृत अर्थ देकर नष्ट कर दिया है। सामान्यतया तुम्हारे शब्दकोशों में ‘जिम्मेदारी’ का मतलब कर्तव्य होता है, चीजों को उस तरह से करना जिस तरह से तुम्हारे माता-पिता, तुम्हारे शिक्षक, तुम्हारे पंडित, तुम्हारे राजनेता–किन्हीं दूसरों द्वारा अपेक्षा

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दुनिया में चेतना नहीं है। यह एक सामूहिक बेहोशी है। – OSHO

भीड़ मैं दुनिया में किसी तरह की भीड़ नहीं चाहता। वह चाहे धर्म के नाम पर इकट्ठी हुई हो, या देश के नाम पर, या वर्ग के नाम पर, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। भीड़ उस रूप में एक कुरूप चीज है, और भीड़ ने दुनिया में बहुत बड़े-बड़े अपराध किए हैं, क्योंकि दुनिया में

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जनसंख्या विस्फोट – Population explosion OSHO

जनसंख्या विस्फोट उन्नीस सौ सैंतालीस में जितनी हमारी संख्या थी पूरे हिंदुस्तान-पाकिस्तान की मिल कर, आज अकेले हिंदुस्तान की उससे ज्यादा है। यह संख्या अगर इसी अनुपात में बढ़ी चली जाती है और फिर दुख बढ़ता है, दारिद्रय बढ़ता है, दीनता बढ़ती है, बेकारी बढ़ती है, बीमारी बढ़ती है, तो हम परेशान होते हैं, उससे

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