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“प्रभु कृपा का एहसास कैसे हो?” – मा ओशो प्रिया

प्रश्न:भक्तगण कहते हैं परमात्मा सर्वत्र है। उसकी मेहरबानी सदा बरस ही रही है। फिर भी सब लोगों को प्रभु कृपा का एहसास क्यों नहीं होता? ईश्वर के प्रति श्रद्धा, भक्ति, शुक्रगुजारी कैसे जन्में? कृपया समझाने की अनुकंपा करें। मेरे प्रिय आत्मन् नमस्कार। परमात्मा में हम हैं, परमात्मा से बिल्कुल दूरी नहीं है। उसी में पैदा […]

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असली बात है प्रेम। दान और प्रेम पर्यायवाची हैं, दान और धन पर्यायवाची नहीं हैं

एक कहानी मैंने पढ़ी, तो मैं हैरान हुआ। उसमें कहा गया था : यह कोई अमीर का महल नहीं है जिसमें जगह न हो। यह गरीब का झोपड़ा है, इसमें खूब जगह है। जगह महलों में और झोपड़ों में नहीं होती, जगह हृदयों में होती है। अक्सर तुम पाओगे, गरीब कंजूस नहीं होता। कंजूस होने

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ओशो – भीतर कुछ और बाहर कुछ !

*भीतर कुछ और , बाहर कुछ और..* एक रात ऐसा हुआ। एक घर में एक मां थी और उसकी बेटी थी। और उन दोनों को रात में उठ कर नींद में चलने की बीमारी और आदत थी। कोई तीन बजे होंगे रात में,तब वह मां उठी और मकान के पीछे बगिया में पहुंच गई। नींद

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सभी प्रेम चाहते हैँ फिर भी प्रेम का अकाल क्योँ है? OSHO Times | Emotional Ecology

मैं आपको एक सूत्र की बात कहूं: जिस मनुष्य के पास प्रेम है उसकी प्रेम की मांग मिट जाती है। और यह भी मैं आपको कहूं: जिसकी प्रेम की मांग मिट जाती है वही केवल प्रेम को दे सकता है। जो खुद मांग रहा है वह दे नहीं सकता है। इस जगत में केवल वे

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क्यों है मन में ऊबाऊपन Why is boredom in mind – Osho

संसार में जितनी चीजें हैं, उनको पाने की चेष्टा में आदमी कभी नहीं ऊबता, पाकर ऊब जाता है। पाने की चेष्टा में कभी नहीं ऊबता, पाकर ऊब जाता है। इंतजार में कभी नहीं ऊबता, मिलन में ऊब जाता है। इंतजार जिंदगीभर चल सकता है; मिलन घड़ीभर चलाना मुश्किल पड़ जाता है… संसार के संयोग से

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ओशो से जुडी 10 रोचक बातें: Facts About Osho

Interesting Fact About Osho in Hindi : दुनिया के चर्चित आध्यात्मिक गुरुआें में से एक आचार्य रजनीश ‘ओशो’ का जीवन रहस्यों से भरा हुआ है। वे खुद को अमीरों का गुरु कहते थे। ओशो की बातों पर कई बार भारी विवाद भी मचा है। उनका जन्म भोपाल के पास रायसेन में अपने नाना के घर

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“चाहो तो हर चीज सहयोगी है” – ओशो

प्रश्न- गैरिक वस्त्र और माला, ध्यान और साक्षी-साधना में कहां तक सहयोगी हैं? चाहो तो हर चीज सहयोगी है। चाहो तो छोटी-छोटी चीजों से रास्ता बना ले सकते हो। कहते हैं, राम ने जब पुल बनाया लंका को जोड़ने को, जब सागर-सेतु बनाया तो छोटी-छोटी गिलहरियां रेत के कण और कंकड़ ले आयीं। उनका भी

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विवाह दो शरीरों का हो सकता है, विवाह दो आत्‍माओं का नहीं। दो आत्‍माओं का प्रेम हो सकता है। OSHO

तो मैंने समझा की अगर थोड़ी सह किरण से इतनी बेचैनी हुई तो फिर पूरे प्रकाश की चर्चा कर लेनी उचित है। ताकि साफ हो सके कि ज्ञान मनुष्‍य को धार्मिक बनाता है या अधार्मिक बनाता है। यह कारण था इसलिए यह विषय चुना। और अगर यह कारण न होता तो शायद मुझे अचानक खयाल

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