मन वेश्या की तरह है। किसी का नहीं है मन। OSHO
मन वेश्या की तरह है। किसी का नहीं है मन। आज यहां, कल वहां; आज इसका, कल उसका। मन की कोई मालकियत नहीं है। और मन की कोई ईमानदारी नहीं है। मन बहुत बेईमान है। वह वेश्या की तरह है। वह किसी एक का होकर…
बिना सेक्स के किसी जीव की उत्त्पत्ति और वंश का विकास संभव नहीं है OSHO
लेकिन एक प्रचलित संप्रदाय ऐसा है जो सेक्स की इजाजत हर इंसान को खुलेआम देता है. इस संप्रदाय के अनुसार जो जिसके साथ चाहे अपनी और उसकी मर्जी से खुलेआम सेक्स कर सकता है. आप सोच रहें हैं ऐसा कौन सा संप्रदाय है जिसमे सेक्स…
कामुकता – एक बिन तराशा हीरा
बरकोवित्व और माइकलसन जो केवल व्यापारिक साझीदार ही नहीं, बल्कि जीवन पर्यंत के लिए एक दूसरे के मित्र भी थे, उन दोनों ने आपस में करार किया उनमें से जो भी पहले मर जाएगा, वह वापस लौटकर दूसरे को यह बतायेगा कि स्वर्ग जैसा अनुभव…
OSHO ने SEX के बारे में ऐसी बातें बताई हैं, कोई भी गुरु ने कभी कहा नहीं था.
आज चर्चा करते है OSHO के बारे में. सेक्स प्रमोटर या वास्तविक जीवन शैली ट्रेनर थे?. Maa Prem Nirmohi के अनुसार OSHO को एक सेक्स गुरु के रूप में माना गया है, जो की वे नहीं है. उन्हें गुरु कहना ही गैरकानूनी है. उन्हौंने आगे…
जब कामवासना पकड़े , तब डरो मत। शांत होकर बैठ जाओ। जोर से श्वास को बाहर फेंको – OSHO
भीतर मत लो श्वास को। क्योंकि जैसे भी तुम भीतर गहरी श्वास को लोगे, भीतर जाती श्वास काम-ऊर्जा को नीचे की तरफ धकाती है। जब तुम्हें काम-वासना पकड़े, तब एक्सहेल करो। बाहर फेंको श्वास को। नाभि को भीतर खींचो, पेट को भीतर लोग और श्वास…
पत्नी अपने पति को वेश्या के घर पहुंचा दे तो हम कहते है: ‘’यह है चरित्र, देखो क्या चरित्र है। OSHO
स्त्री पहली बार चरित्रवान हो रही है—ओशो ओशो—तुम्हारे चरित्र का एक ही अर्थ होता है, बस कि स्त्री पुरूष से बंधी रहे, चाहे पुरूष कैसा ही गलत हो। हमारे शास्त्रों में इसकी बड़ी प्रशंसा की गई है। कि अगर कोई पत्नी अपने पति को—बूढ़े, मरते,…
ओशो का कहना है कि व्यक्ति एक रात या दिन में कम से कम चार बार संभोग कर सकता है। OSHO
ओशो कहते थे- लड़के-लड़कियों को अलग हॉस्टल में रखोगे तो समलैंगिक बनेंगे ओशो कहते हैं कि 18 साल की उम्र में कामवासना चरम पर होती है और ऐसे वक्त में सामाजिक व्यवस्था में लड़के और लड़कियों को एक दूसरे से दूर रखने की कोशिश की…
यह प्रश्न भारतीय स्त्री का है – मेरे बदन में बहुत काम-ऊर्जा है। कैसे मैं अपनी ऊर्जा को सृजनात्मकता दूँ। OSHO
सेक्स और भोजन का गहरा–ओशो प्रश्न—मेरे बदन में बहुत काम-ऊर्जा है। जब मैं नाचती हूं, कभी-कभी में महसूस करती हूं कि मैं पूरी दुनिया को खत्म कर दूंगी और किसी स्थिति में इतना क्रोध और हिंसा मेरे भीतर उबलती है कि मैं अपनी ऊर्जा को…
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