गौतम बुद्ध की एक ध्यान-विधि – OSHO Vipassana Meditation™
यह विधि गौतम बुद्ध की एक ध्यान-विधि पर आधारित है। यह सजगता, जागरूकता, होशपूर्णता और साक्षीत्व के अभ्यास के लिए है। ओशो की विपस्सना विधि नीरस न होकर एक सुखद, “रसपूर्ण” अनुभव है। विपस्सना ध्यान कई प्रकार से किया जा सकता है। निम्नलिखित ओशो की विपस्सना ध्यान-विधि एक घंटे की है और दो चरणों में विभाजित है। निर्देश:यह एक घंटे का ध्यान है और इसके दो चरण हैं। इसमें 45 मिनट तक बैठना है और उसके बाद 15 मिनट तक…
“रात्रि ध्यान” खासकर उनके लिए जिन्हें अनिद्रा की तकलीफ हो। – ओशो
यह विधि बहुत-बहुत बुनियादी है। इसे बहुत प्रयोग में लाया गया—विशेषकर बुद्ध के द्वारा। और इस विधि के अनेक प्रकार है। उदाहरण के लिए, रात में जब तुम सोने लगो, गहरी नींद में उतरने लगो तो पूरे दिन के अपने जीवन को याद करो। इस याद की दिशा उलटी होगी, यानी उसे सुबह से न शुरू कर वहां से शुरू करो जहां तुम हो। अभी तुम बिस्तरे में पड़े हो तो बिस्तर में लेटने से…
जब कामवासना पकड़े , तब डरो मत। शांत होकर बैठ जाओ। जोर से श्वास को बाहर फेंको – OSHO
भीतर मत लो श्वास को। क्योंकि जैसे भी तुम भीतर गहरी श्वास को लोगे, भीतर जाती श्वास काम-ऊर्जा को नीचे की तरफ धकाती है। जब तुम्हें काम-वासना पकड़े, तब एक्सहेल करो। बाहर फेंको श्वास को। नाभि को भीतर खींचो, पेट को भीतर लोग और श्वास को बाहर फेंको जितनी फेंक सको। धीरे-धीरे अभ्यास होने पर तुम संपूर्ण रूप से श्वास को बाहर फेंकने में सफल हो जाओगे। जब सारी श्वास बाहर फिंक जाती है, तो…
ओशो साहित्य | चल ओशो के गाँव में |‘जहाँ ध्यान प्रेम की छांव है, वही ओशो का गांव है। OSHO
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश ‘‘जहाँ ध्यान प्रेम की छांव है, वही ओशो का गांव है।’’ ओशो परम दुर्लभ घटना है अस्तित्व की। ओशो की आवाज जब बहती हुई पवन की तरह किसी के अंतर में सरसराती है, एक बादल की तरह बूँद-बूँद बरसती है और सूर्य की किरण होकर कहीं अंतर्मन में उतरती है तो चेतना का सुप्त बीज पनपने लगता है। फिर कितने ही रंगों का जो फूल खिलता है उसका नाम…
सचेत हो जाओ! सम्बन्ध प्रेम को नष्ट कर देता है, वह उसके जन्म की सारी संभावनाओं को नष्ट कर देता है।
सम्बन्ध सम्बन्ध एक ढांचा है, प्रेम का कोई ढांचा नहीं है। तो प्रेम सम्बंधित तो अवश्य होता है, पर कभी सम्बन्ध नहीं बनता। प्रेम एक क्षण-से-क्षण की प्रक्रिया है। स्मरण रखें। प्रेम तुम्हारे होने कि स्तिथि है, वह कोई सम्बन्ध नहीं। ऐसे लोग हैं जो प्रेम करते हैं और ऐसे भी जो प्रेम नहीं करते। जो लोग प्रेम नहीं करते वे संबंधो के माध्यम से प्रेममय होने का नाटक करते हैं। प्रेम करने वाले लोगों…
“प्रभु कृपा का एहसास कैसे हो?” – मा ओशो प्रिया
प्रश्न:भक्तगण कहते हैं परमात्मा सर्वत्र है। उसकी मेहरबानी सदा बरस ही रही है। फिर भी सब लोगों को प्रभु कृपा का एहसास क्यों नहीं होता? ईश्वर के प्रति श्रद्धा, भक्ति, शुक्रगुजारी कैसे जन्में? कृपया समझाने की अनुकंपा करें। मेरे प्रिय आत्मन् नमस्कार। परमात्मा में हम हैं, परमात्मा से बिल्कुल दूरी नहीं है। उसी में पैदा हुए हैं, उसी में जी रहे हैं तो पता नहीं चलता उसका। वायुमंडल का ही उदाहरण ले लो। चारों तरफ…
“Garrick Clothing and Garland Use in Sociology!” – Osho
प्रश्न- गैरिक वस्त्र और माला, ध्यान और साक्षी-साधना में कहां तक सहयोगी हैं? चाहो तो हर चीज सहयोगी है। चाहो तो छोटी-छोटी चीजों से रास्ता बना ले सकते हो। कहते हैं, राम ने जब पुल बनाया लंका को जोड़ने को, जब सागर-सेतु बनाया तो छोटी-छोटी गिलहरियां रेत के कण और कंकड़ ले आयीं। उनका भी हाथ हुआ। उन्होंने भी सेतु को बनने में सहायता दी। बड़ी-बड़ी चट्टानें लाने वाले लोग भी थे। छोटी-छोटी गिलहरियां भी…
अवधान को बढ़ाना
जहां कहीं भी तुम्हारा अवधान उतरे, उसी बिंदु पर, अनुभव। इस विधि में सबसे पहले तुम्हें अवधान साधना होगा, अवधान का विकास करना होगा। तुम्हें एक भांति का अवधानपूर्ण रुख, रुझान विकसित करना होगा; तो ही यह विधि संभव होगी। और तब जहां कहीं भी तुम्हारा अवधान उतरे, तुम अनुभव कर सकते हो-स्वयं को अनुभव कर सकते हो। एक फूल को देखने भर से तुम स्वयं को अनुभव कर सकते हो। तब फूल को देखना…
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