Guide

The guide is not outside, the guide is within you. One has to go deeper into one´s own being to find the guide. Once the inner guide is found there are no more mistakes, no repentance, no guilt. There is no question of doing good or doing bad; whatsoever one does is good. It is not a question of morality either; one´s very being is good and whatsoever comes out of it is good. One walks in light and one walks lightly because the head and the burden of the head is no more there. And when one walks in light and walks lightly, life becomes laughter, love, joy.

Once the guide is found, you have found the master within yourself.

स्त्रियों ने उद्‍घोषणा की है समानता की, तो पुरुषों की छाती पर साँप लौट रहे हैं OSHO

पहली दफा दुनिया में एक स्वतंत्रता की हवा पैदा हुई है, लोकतंत्र की हवा पैदा हुई है और स्त्रियों ने उद्‍घोषणा की है समानता की, तो पुरुषों की छाती पर साँप लौट रहे हैं। मगर मजा भी यह है कि पुरुषों की छाती पर साँप लौटे, यह तो ठीक, स्त्रियों की छाती पर साँप लौट […]

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पत्‍नी अपने पति को वेश्‍या के घर पहुंचा दे तो हम कहते है: ‘’यह है चरित्र, देखो क्‍या चरित्र है। OSHO

स्त्री पहली बार चरित्रवान हो रही है—ओशो ओशो—तुम्‍हारे चरित्र का एक ही अर्थ होता है, बस कि स्‍त्री पुरूष से बंधी रहे, चाहे पुरूष कैसा ही गलत हो। हमारे शास्‍त्रों में इसकी बड़ी प्रशंसा की गई है। कि अगर कोई पत्‍नी अपने पति को—बूढ़े, मरते, सड़ते, कुष्‍ठ रोग से गलते पति को भी—कंधे पर रख

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ओशो का कहना है कि व्यक्ति एक रात या दिन में कम से कम चार बार संभोग कर सकता है। OSHO

ओशो कहते थे- लड़के-लड़कियों को अलग हॉस्‍टल में रखोगे तो समलैंगिक बनेंगे ओशो कहते हैं कि 18 साल की उम्र में कामवासना चरम पर होती है और ऐसे वक्त में सामाजिक व्यवस्था में लड़के और लड़कियों को एक दूसरे से दूर रखने की कोशिश की जाती है। आचार्य रजनीश ओशो अलग-अलग विषयों पर दिए गए

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गरीब जब भी मेरे पास पहुंच जाता है तभी मैं अपने को असहाय पाता हूं OSHO

ओशो – गरीब आदमी ओशो प्रेम नमन जी मुझसे लोग कहते हैं कि आप गरीबों के लिए क्यों नहीं कुछ करते? यहां आपके आश्रम में गरीब के लिए प्रवेश नहीं मिल पाता। ओशो― उसके पीछे कारण हैं। गरीब जब भी मेरे पास पहुंच जाता है तभी मैं अपने को असहाय पाता हूं; क्योंकि मैं जो

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आदमी को, स्वाभाविक रूप से, एक शाकाहारी होना चाहिए, क्योंकि पूरा शरीर शाकाहारी भोजन के लिए बना है।

शाकाहारी होना आदमी को, स्वाभाविक रूप से, एक शाकाहारी होना चाहिए, क्योंकि पूरा शरीर शाकाहारी भोजन के लिए बना है। वैज्ञानिक इस तथ्य को मानते हैं कि मानव शरीर का संपूर्ण ढांचा दिखाता है कि आदमी गैर-शाकाहारी नहीं होना चाहिए। आदमी बंदरों से आया है। बंदर शाकाहारी हैं, पूर्ण शाकाहारी। अगर डार्विन सही है तो

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उदासी उतना उदास नहीं करती, जितना उदासी आ गई, यह बात उदास करती है। OSHO

उदासी उदासी उतना उदास नहीं करती, जितना उदासी आ गई, यह बात उदास करती है। उदासी की तो अपनी कुछ खूबियां हैं, अपने कुछ रहस्य हैं। अगर उदासी स्वीकार हो तो उदासी का भी अपना मजा है। मुझे कहने दो इसी तरह, कि उदासी का भी अपना मजा है। क्योंकि उदासी में एक शांति है,

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मन का गुणधर्म अब बदल चुका है।

ध्यान की सक्रिय-विधियां क्यों? ध्यान की सक्रिय-विधियां क्यों?आधुनिक मनुष्य एक बहुत ही नयी घटना है। कोई भी परंपरागत विधि अपने वर्तमान रूप में प्रयुक्त नहीं हो सकती क्योंकि आधुनिक मनुष्य पहले कभी था ही नहीं, अत: सभी पुरातन विधियां अब असंगत हो गयी हैं। उदाहरण के तौर पर, शरीर इतना बदल गया है, इतना व्यसनी

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हृदय तुम्हें सभी तरह की कल्पनाएं, भ्रम, छल, मधुर सपने देगा

मेरा मार्ग हृदय का मार्ग बताया जाता रहा है, लेकिन यह सत्य नहीं है। हृदय तुम्हें सभी तरह की कल्पनाएं, भ्रम, छल, मधुर सपने देगा–लेकिन यह तुम्हें सत्य नहीं दे सकता। सत्य दोनों के पार है; यह तुम्हारी चेतना में है, जो कि न तो मन है न ही हृदय। बस चूंकि चेतना दोनों से

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