स्त्रियों ने उद्घोषणा की है समानता की, तो पुरुषों की छाती पर साँप लौट रहे हैं OSHO
पहली दफा दुनिया में एक स्वतंत्रता की हवा पैदा हुई है, लोकतंत्र की हवा पैदा हुई है और स्त्रियों ने उद्घोषणा की है समानता की,
पहली दफा दुनिया में एक स्वतंत्रता की हवा पैदा हुई है, लोकतंत्र की हवा पैदा हुई है और स्त्रियों ने उद्घोषणा की है समानता की,
स्त्री पहली बार चरित्रवान हो रही है—ओशो ओशो—तुम्हारे चरित्र का एक ही अर्थ होता है, बस कि स्त्री पुरूष से बंधी रहे, चाहे पुरूष कैसा
ओशो कहते थे- लड़के-लड़कियों को अलग हॉस्टल में रखोगे तो समलैंगिक बनेंगे ओशो कहते हैं कि 18 साल की उम्र में कामवासना चरम पर होती
ओशो – गरीब आदमी ओशो प्रेम नमन जी मुझसे लोग कहते हैं कि आप गरीबों के लिए क्यों नहीं कुछ करते? यहां आपके आश्रम में
शाकाहारी होना आदमी को, स्वाभाविक रूप से, एक शाकाहारी होना चाहिए, क्योंकि पूरा शरीर शाकाहारी भोजन के लिए बना है। वैज्ञानिक इस तथ्य को मानते
उदासी उदासी उतना उदास नहीं करती, जितना उदासी आ गई, यह बात उदास करती है। उदासी की तो अपनी कुछ खूबियां हैं, अपने कुछ रहस्य
ध्यान की सक्रिय-विधियां क्यों? ध्यान की सक्रिय-विधियां क्यों?आधुनिक मनुष्य एक बहुत ही नयी घटना है। कोई भी परंपरागत विधि अपने वर्तमान रूप में प्रयुक्त नहीं
मेरा मार्ग हृदय का मार्ग बताया जाता रहा है, लेकिन यह सत्य नहीं है। हृदय तुम्हें सभी तरह की कल्पनाएं, भ्रम, छल, मधुर सपने देगा–लेकिन